CIBIL Score: आजकल लोन लेना उतना ही आसान हो गया है. जितना मोबाइल रिचार्ज कराना. चाहे मकान खरीदना हो, गाड़ी लेनी हो या किसी आपात स्थिति में पैसे की जरूरत हो – लोग बैंक से लोन लेना ज्यादा पसंद करते हैं. लेकिन लोन लेना जितना आसान लगता है. उतना ही मुश्किल हो जाता है उसकी EMI यानी मासिक किस्त का समय पर भुगतान करना.
ईएमआई चूकने पर सिबिल स्कोर पर सीधा असर पड़ता है. ये स्कोर आपकी आर्थिक स्थिति और भविष्य में लोन लेने की क्षमता को तय करता है. ऐसे में जरूरी है कि आप समझदारी से EMI की योजना बनाएं और अगर किसी कारणवश दिक्कत आए. तो नीचे दिए उपायों का सहारा लें.
EMI भुगतान क्यों है जरूरी?
हर लोन के साथ एक तयशुदा EMI जुड़ी होती है. जिसे समय पर चुकाना आपकी पहली जिम्मेदारी होती है. एक भी किस्त लेट होने पर बैंक इसकी रिपोर्ट क्रेडिट ब्यूरो (जैसे CIBIL) को भेजता है. जिससे आपका सिबिल स्कोर गिर जाता है.
अच्छे सिबिल स्कोर (750 से ऊपर) से आपको भविष्य में:
- लोन जल्दी मंजूर होता है,
- ब्याज दरें कम मिलती हैं,
- और क्रेडिट कार्ड की लिमिट भी बेहतर होती है.
इसलिए अगर आप किसी भी वजह से EMI नहीं भर पा रहे हैं, तो नीचे दिए गए उपाय अपनाकर स्थिति को संभाल सकते हैं.
1. बैंक प्रबंधक से संपर्क करें – खुलकर बताएं अपनी स्थिति
अगर आपकी किस्त चूकने की नौबत आ गई है, तो सबसे पहले अपने बैंक ब्रांच के मैनेजर से मिलें.
- उन्हें अपनी मौजूदा आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी दें.
- बताएं कि EMI जानबूझकर नहीं रुकी है.
- अगर यह पहली बार हुआ है, तो बैंक आपकी बात को समझ सकता है.
कई बार बैंक लेट फीस या पेनल्टी माफ कर देता है या उसमें छूट दे देता है. विशेष रूप से अगर आपका बैंकिंग रिकॉर्ड पहले से अच्छा रहा हो, तो आपको राहत मिल सकती है.
2. सिबिल स्कोर पर असर न हो
EMI चूकने से सबसे बड़ा नुकसान आपका क्रेडिट स्कोर गिरना होता है.
अगर आपने केवल एक या दो किश्तें मिस की हैं और जल्द ही उन्हें चुकता करने का इरादा है. तो आप बैंक से यह लिखित अनुरोध कर सकते हैं कि वे आपकी रिपोर्ट को “positive” बनाएं.
ध्यान रहे:
- लगातार तीन किश्तें चूकने पर गंभीर प्रभाव पड़ता है.
- रिपोर्ट एक बार बिगड़ गई तो सुधारने में सालों लग सकते हैं.
इसलिए स्थिति को पहले ही संभाल लें और बैंक के सामने पारदर्शिता बनाए रखें.
3. EMI होल्ड करवाएं
कई बार हमारी आमदनी देर से आती है या अचानक कोई मेडिकल या पारिवारिक आपात स्थिति सामने आ जाती है. ऐसे में EMI समय पर देना मुश्किल हो जाता है.
इस स्थिति में आप बैंक से EMI होल्ड कराने का विकल्प मांग सकते हैं.
- एक आवेदन दें, जिसमें आप EMI की नई तारीख सुझाएं.
- बैंक आपके इतिहास को देखते हुए आपको कुछ समय की राहत दे सकता है.
हालांकि यह सुविधा सभी बैंकों में नहीं होती. लेकिन अगर आपकी वजह उचित है, तो बैंक इसमें सहयोग करता है.
4. एरियर EMI विकल्प चुनें
अक्सर EMI की तारीख और आपकी आय आने की तारीख में तालमेल नहीं होता. इससे EMI बाउंस होने का खतरा रहता है. इसका हल है एरियर EMI या एडवांस EMI विकल्प.
इसमें आप:
- EMI की तारीख को अपनी सैलरी की तारीख के अनुसार सेट करा सकते हैं.
- इससे आपको समय पर भुगतान करने में आसानी होगी और बाउंस की संभावना घटेगी.
यह विकल्प आप लोन लेते समय या बाद में बैंक से संपर्क कर चुन सकते हैं.
लोन लेने से पहले बनाएं मजबूत प्लानिंग
कई बार हम बिना योजना बनाए ही लोन ले लेते हैं. लेकिन लोन लेने से पहले जरूरी है कि आप:
- अपनी मासिक आय और खर्च का विश्लेषण करें.
- तभी EMI चुनें जो आप नियमित भर सकें.
- जरूरत से ज्यादा लोन न लें और सिर्फ उतना ही लें जितना जरूरी हो.
इस आदत से आप भविष्य में EMI न चुकाने की स्थिति से बच सकते हैं.